आज हम आपको जिस चम्तकारी औषद्यि के बारे में बताने जा रहे है. जिसे आप घरेलु नुस्खे की तरह उपयोग कर सकते है . इस चमत्कारी देसी नुश्खे की Full Detail शायद ही आपको कही और मिले। इस औषदि के उपयोग से शरीर से लगभग सभी बीमारी का इलाज संभव है. तो आईये चलते है इस चमत्कारी औषधि की तरफ|
इस औषधि के फायदे जानने से पहले हमें इसे तैयार करने के लिए जिस सामग्री की जरूरत पड़ेगी| उस पर भी एक नजर डाल लेते है, इस देसी नुस्खे को बनाने के लिए हमें सबसे पहले:- सुहागा (borax), हींग(Asafoetida), हरड़(Haritaki), हर्रा(Chebula Harra), काला नमक(Black Salt), तुलसी(Tulsi), पीपली (Pipali), सौंठ(Dry Ginger) इन सब herbs की जरूरत पड़ेगी| इनके इस्तेमाल से पहले हमें इन सभी औषधि को जानना अतिआवश्यक है, तो आईये चलते है बिना किसी देरी के:-
सुहागा (Borax) :- सुहागा सफ़ेद रंग का होता है. सुहागा को सौभाग्य के नाम से भी जाना जाता है. दिखने में सुहागा Crystal जैसा दिखाई देता है. सुहागा (borax) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज यौगिक है, जो Sodium Borate, और Boron अस्यक, का एक रूप है. सुहागा (Borax) से टोन्सिल, गठिया, pcos, और इन्फेक्शन को भी खत्म किया जा सकता है. आयुर्वेद के अनुसार सुहागा पेट की जलन, वायुपित, बलगम में भी आराम प्रदान करता है|
हींग (Asafoetida) :- हमारे घरो में आमतौर पर पाया जाने वाले मसालो में सबसे पहले हींग का नाम शामिल है| हींग में एक तीखी गंध होती है. बारहमासी जड़ीबूटी (हींग) देने वाला इसका पौधा 1.5 meter तक बढ़ता है| हींग का प्रयोग घरेलू देसी नुस्खे की तरह भी किया जाता है हींग की पैदावार अधिकतर ईरान, इराक, तुर्कमेनिस्तान, बलूचिस्तान में होती है. हींग का उपयोग अधिकतर पेट को साफ करने, कब्ज़ को दूर करने और स्वाद बढ़ाने में उपयोग किया जाता हैं.
हरड़ (Haritaki) :- Terminalia Chebula के नाम से हरीतिकी को जाना जाता है. हरड़ के पेड़ की ऊंचाई लगभग 60 – 90 फुट तक हो सकता है, आयुर्वेद में इसे अमृता, कायस्थ, विजय, मैथ्या आदि के नामो से भी जाना जाता है| भारत के आयुर्वेदो ने इसे अमृता औषधि भी कहा है, आयुर्वेद में इसे किसके समान दर्जा दिया गया वो इस श्लोक में अच्छे से पता चलेगा|
यस्य माता घरे नस्ति, तस्य माता हरीति|
कदाचित कुप्ते माता, नोदस्थ हरीतिकि||
अर्थात हरीतिकि मनुश्यों की माता के समान हित करने वाली है, ऐसा माना जाता है की माता तो कभी – कभी क्रोधित भी हो जाती है परंतु उदर स्थिति में खाई हुई हरड़ कभी भी नुकसान नहीं करती।
काला नमक (Black Salt):- black salt में मुख्यत Sodium Chloride होता है| इसमें Sodium sulphate, Iron Sulfide, Hydrogen sulfide की मात्रा पाई जाती है. सोडियम क्लोराइड के कारण ही इसका गहरा बैगनी रंग होता है| Hydrogen sulfide मुख्यतः ब्लैक साल्ट चट्टान से प्राप्त होता है| इसे हिमालियन साल्ट, सुलेमानी नमक, और काला लूण के नाम से भी जाना जाता है.
तुलसी (Tulsi) :- तुलसी हम सभी के लिए पवित्र पौधा है, इसे लक्मी के अवतार के रूप में पूजा जाता है| इसका सैइंटिफ़िक नाम Ocimum Tenuiflorum के नाम से भी जाना जाता है. तुलसी बारहमासी जड़ी बूटी देने वाले पौधो में से एक है| तुलसी का उपयोग आयुर्वेद में किया जाता है, इसमें Antioxidant, Anti–Inflammatory, Cardioprotective Properties पाई जाती है. जो काफी हद तक शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है.
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पिप्पली (pipali) :- Indian long pepper के नाम से भी जाना जाता है| इसका उपयोग ज्यादातर भारतीयों घरो में मसालों और औषधि के रूप में किया जाता है| पीपली Piper case family का हिस्सा है, इसमें भी Antioxidant, Anti fever, Antifungal Properties पाई जाती है. इसका उपयोग सर्दी, खांसी, जुकाम आदि में किया जाता है|
सौंठ (Saunth) :- अदरक को सुखाकर सौंठ या सूखा चूर्ण के रूप में प्राप्त होता है| सौंठ हमारे घरो में आसानी से पाई जाती है, सौंठ का उपयोग भारतीय खाध व्यंजिनो और औषधि के रूप में किया जाता है. सौंठ गर्म तासीर वाली आयुर्वेदिक औषधि होती है, जो सर्दी खांसी, गले में दर्द, और पेट को साफ रखने में किया जाता है. सौंठ का प्रयोग हम चाय में या अन्य पेय प्रदार्थो में भी कर सकते है|
हर्रा (Harada) :- हर्रा भी हरीतिकी के पेड़ से पाया जाने वाला सूखा फल होता है, जिन्हे बड़ी हरड़, हर्रा, पिली हरड़, जरद हरड़ के नाम से भी जाना जाता है| हर्रा में गुठली पाई जाती है| आयुर्वेद औषधि के रूप में यह बहुत गुणकारी साबित होती है| हर्रा से मुख के रोग, कंठ सुखना, अतिसार में कमी के रोगो में उपयोग में लेने से काफी फायदेमंद होती है.
तो friends इस चमत्कारी औषधि में काम आने वाली सभी सामग्री को हमने अच्छे से जान लिया है, तो अब इस औषधि के बारे में जानने लिए चलते है बिना किसी देर के : –
घिस्सा :- जी हाँ दोस्तों इस चमत्कारी औषधि को घिस्सा, अष्ठ मेल द्रव्य, अमृता, घासो के नाम भी जाना जाता है| शायद ही आपने कभी इस देसी नुस्खे के बारे में सुना होगा| लेकिंन दोस्तों विश्वास करो की ये औषधि किसी अमृत से कम नहीं, जब आप इसके फायदे जानेगे तो आप कहेंगे की ये ओषधि रामबाण की तरह है| ये औषधि हमारी दादी नानी के देसी नुस्खे की तरह है.तो आईये चलते हे इस औषधि की विधि की तरफ-
विधि (Method) :- सबसे पहले छोटी हरड़ (हरीतिकी) को तवे पर थोड़ा सा घी डालकर सेक ले| सुहागा को भी तवे पर सेक ले ध्यान रहे की सुहागा को तब तक ही सेके जब तक ये पूरी तरह से फूलकर सफ़ेद कपास की तरह न हो जाये| हर्रा (बड़ी हरड़) को आटे की पतली लोई बनाकर उसके बीच में रखकर ओवन में या चूल्हे में फूलने तक अच्छे से सेक ले| अब हमें एक साफ लेकिन कठोर या पथरीली जमीं जैसे, सिला का प्रयोग कर सकते है|
अब सभी प्रकार की सामग्री हर्रा, छोटी हरड़, सुहागा, सौंठ, काला नमक, हींग, पीपली, तुलसी को शिला पर थोड़ा – थोड़ा पानी डालते हुए उन्हें घिसते चले जायेंगे| इन सभी जड़ी बूटी की मात्रा आप अपने हिसाब से, की जितना आप एक समय में पी सके उतना ही प्रयोग में लाना है. बाकि बची सामग्री को आप किसी साफ पैकेट में रख सकते है| तो अब तैयार है,
अब इसको कैसे use करना है, ये भी जान लेते है घिस्सा को आप खाना खाने के आधे घंटे बाद या खाना खाने से आधा घंटे पहले खाली पेट ले सकते है, इसका प्रयोग केवल दिन में दो बार ही करना उचित माना जाता है|
Use करने के बाद अब देसी नुस्खे – घिस्से के क्या – क्या फायदे होंगे उनके ऊपर भी एक नजर डाल लेते है|
Benefits of ayurvedic herbs drink
1.बवासीर के रोग से निदान प्रदान करे ये देसी नुस्खा | Protect against piles problem
आप सभी तो जानते है, की पाइल्स (piles) की बीमारी कितनी खतरनाक हो सकती है| जब हमारे उदरगुहा(पेट) में जलन, कब्ज, एसिडिटी, गैस बनने का सबसे बड़ा कारण बाहर का भोजन या जंक फ़ूड है. इन सभी symptoms के कारण ये पता लगाया जा सकता है, की पाइल्स या बवासीर की बीमारी उत्प्नन हो सकती है| बवासीर की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए आप घिस्से का प्रयोग कर सकते है| क्योकि इसमें सुहागा और हींग दोनों ही गैस बदहजमी को खत्म करता हे और पाचन तंत्र को मजबूत बनता है|
2.कैंसर से करे रक्षा | Protect against cancer
कैंसर का रोग एक दिन में नहीं होता ये तो धीरे धीरे बैक्टीरिआ के संक्रमण से गांठ के रूप में बन जाता है| अगर आप अष्ट मेल द्रव्य का सेवन रोजाना करते है. तो ये कैंसर में भी बहुत लाभकारि है| क्योकि इसमें पाए जाने वाले जड़ी बूटी हरड़, सौंठ, तुलसी में भरपूर मात्रा में antioxident, anti cancer, antiinflamentory properties पाई जाती है| जो बैक्टीरिया के संक्रमण को खत्म करने में सहायक है, इसके लिए नियमित सेवन अनिवार्य है.
3.डायरिया के कारणों को दूर करे | Relax in diarrehea
छोटे बच्चो में अकसर ये देखा जाता हे की उनका पेट अच्छे से साफ नहीं हो पाता| बच्चो में हरे दस्त और मल जम जाना लगभग आम समस्या होती है| लेकिन इसका इलाज भी घिस्सा से संभव है. बच्चे को अगर एक छोटा चम्मच घिस्सा दिया जाये तो ये समस्या जड़ से खत्म की जा सकती है| क्योकि इसमें हींग, सुहागा, और काला नमक का मिश्रण अच्छी मात्रा में पाया जाता है| आंतो की सफाई के लिए सुहागा रामबाण की तरह काम करता है| व्यस्क भी इसका उपयोग पेट भारी रहना, गैस बनना, अपच, और कब्ज जैसी िस्थति में फ़ायदेमंद है.
4.सर्दी खांसी जुकाम में आराम प्रदान करे | Relax in flu and cold
अगर किसी को साधारण सर्दी जुकाम की समस्या हो गई हे, तो किसी भी एलोपथी/अंग्रेजी दवाई का सेवन करने से पहले एक बार घिस्से का सेवन जरूर करे| घिस्से को थोड़ा हल्का तेज गर्म करके काढ़े की तरह इसका सेवन करना बेहद फायदेमंद होगा| क्योकि इसमें सौंठ, पिप्पली की मात्रा पाई जाती जो गले के infection, cold, flu में काफी आराम प्रदान करती है.
5.प्रतिरक्षा तंत्र को बनाये मजबूत | Strong your immune system
जी हा दोस्तों आपने बिल्कुल सही सुना की घिस्सा immunity को boost करने में सहायक है. बाहर का खाना, और जंक फ़ूड जैसे भोजन का अधिक सेवन हमारे पाचन तंत्र को कमजोर बनाता है, इसी कारण से हमारा प्रतिरक्षा तंत्र भी कमजोर होता जाता है| घिस्सा के सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान होती है, जिससे हमारा प्रतिरक्षा तंत्र रोगो से लड़ने में सहायक होता है| क्योकि इस द्रव्य में भरपूर Antioxidant, Antibiotic, Anti Inflectional Properties पाई जाती है|
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6.आँखों की कमजोरी को दूर करे | Increasing your low eyesight
आँखों की रोशनी की कमी हो गयी है, तो घिस्से का सेवन बहुत ही लाभप्रद है. क्योकि इसमें हर्रे का मिश्रण होता है| हर्रे को सीधा आँखों में भी डाला जाता है| आँखों में इन्फेक्शन, आंख आना, आँखों का लाल होना, दूर दृष्टि, और निकट द्रष्टि की समस्या हो गई है तो इसका उपयोग काफी लाभदायक है|
7.सूजन को करे कम | Helps in reducing swelling
आजकल सूजन की समस्या आम बात हो गई है, खास तौर पर सूजन चोट लगने पर, अधिक पैदल चलने से या सर्दियों में ठण्ड की वजह से आती है| घिस्से के सेवन से सूजन को कम किया जा सकता है| घिस्से में सौंठ, और सुहागा का मिश्रण पाया जाता है| घिस्से में एंटी इंफ्लामेंटरी गुण भी पाए जाते है जो सूजन को कम करते है|
8.पाचन तत्र को मजबूत बनाये | Make strong digestive system
शरीर को सवस्थ बनाये रखने में पाचन तंत्र की अहम भूमिका होती है। यदि पाचन तंत्र कमजोर होता है तो यह शरीर को कई बिमारियों से ग्रस्त कर देता है। इसलिए पाचन तंत्र का मजबूत होना जरुरी है। घिस्से में उपस्थित हींग जिसमे फाइबर, प्रोटीन, की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक है|
घिस्से के नुकसान | Side Effects of Ghissa in Hindi
घिस्से को एक बार में 2 चम्मच ही उपयोग करना है, क्योकि अधिक सेवन से दस्त की समस्या उत्त्पन्न हो सकती है. दोस्तों अति तो किसी भी औषधि की बेकार है, इसलिए घिस्से का प्रयोग आप दिन में दो बार ही करे| औषधि के रूप में इसका उपयोग करने से इसका कोई भी नुकसान नहीं होता| स्वस्थ वयक्ति भी इसका प्रयोग रोजाना कर सकता है|
तो friends केसा लगा आपको दादी नानी का बेहतर नुस्खा कई प्रकार की बीमारियों में कारगर ये औषधि, हे ना चमत्कारी औषधि|
अब आप किसी भी वयक्ति जो इन तकलीफो से गुजर रहा है, इस देसी नुस्खे, औषधि के बारे में बता सकते है| ऐसे ही बेहतर घरेलू देसी नुस्खे के बारे में जानने के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहिये|
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