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महाभारत के लेखक कौन है? Who Wrote The Mahabharata?

mahabharat ke lekhak kaun hai

Who Wrote The Mahabharata:- आज हम आपको हमारी संस्कृति के बहुत ही बड़े ग्रन्थ के बारे में बताने जा रहे है। जी हाँ दोस्तों आपने इस महाकाव्य के बारे जरूर सुना होगा। लेकिन अापने इस महाकाव्य को किसने लिखा और इस काव्य को कैसे लिखा गया ये नहीं सुना होगा ये कहानी जिसको सुनकर आप बहुत ही मंत्रमुक्त को जायेंगे। हम ये शर्त के तौर पर कह सकते है की यदि अापने इस विचित्र कहानी को सुन लिया तो आप इसे किसी से छुपा नहीं सकते। तो आईये चलते है इस कहानी की और:-

जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है महाभारत के महा काव्य की। अब आप कहेंगे की महाभारत तो हमने सैकड़ो बार टीवी, रेडिओ, और इंटरनेट पर देखी है। लेकिन हम आपको इस महाकाव्य के लेखक वेदव्यास की बुद्धि और चतुराई के बारे बताएँगे। की कैसे उन्होंने इस कहानी की रचना की।

Who Wrote The Mahabharata

बोहत पुराने समय की बात है। व्यास नाम के एक वृद्ध पुरुष भारत की धरती पर रहते थे। व्यास बहुत ही बुद्धिमान और विद्वान पुरुष थे। जैसा की आप जानते की वेद पुरुष सदैव चिंतन मनन में लगे रहते थे। वैसे ही वेद व्यास भी ध्यान में रहते थे।

ऐसे ही एक दिन विचार विमर्श में उन्होंने इस संसार में रहने वाले लोगो तथा उनके गुणों और अवगुणों पर विचार किया। ऐसे ही सोचते सोचते उनके मष्तिष्क में एक कथा विकसित हुई। यह कथा बहुत ही लम्बी थी जो एक राजा, उनके राज्य और उनके परिवार के विषय में थी। इस महान कथा में कई युद्वों का वर्णन था जो उनके पुत्रो और राजाओ द्वारा लड़े गए थे।

अब व्यास इस कहानी की रचना करना चाहते थे, लेकिन उन दिनों लिखना पढ़ना सबके लिए संभव नहीं था। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने जगत रचियता का ध्यान लगाया। तभी बह्रमा उनके सामने प्रकट हुए। ऋषि वेद व्यास ने कहा, है प्रभु मेरे मन और दिमाग में एक ऐसी कथा का जन्म हुआ है। जिसकी घटनाये आगामी संसार के लिए बहुत ही हितकारी साबित होगी।

महाभारत की कथा

इस कथा का नाम होगा “महाभारत”। लेकिन उस कथा को लिखने में मै असमर्थ हूँ। कृपा करके आप इस समस्या का समाधान बताये।

बह्रमा ने उत्तर दिया, की आप गणेश से विनती करे। वे ही आपकी सहायता कर सकते है।

गणेश की पूजा अर्चना हमेशा कार्य की सफलता के लिए की जाती है।

व्यास ने गणेश का ध्यान किया और गणेश ने खुस होकर उन्हें दर्शन दिए। व्यास बोले हे प्रभु ! आपके दर्शन पाकर में ध्यान हुआ। गणेश ने कहा, तुम्हारी भक्ति भावना से में प्रसन्न हूँ, बताओ क्या समस्या है?

व्यास बोले, है भगवन! मेरे मन और दिमाग में एक कथा का जन्म हुआ है जिसका नाम महाभारत देना चाहता हूँ।

लेकिन एक समस्या है की में उस कथा का लिखित रूप नहीं दे पा रहा। कृपा करके आप मेरी मदद करे।

गणेश ने कुछ छण विचार किया, फिर बोले, मै तुम्हारी कथा लिख तो सकता हूँ, पर एक शर्त है। यदि तुम बिना रुके अपनी कथा को आरम्भ से अंत तक मुझे सुना सको, तभी में उसे लिखूंगा।

गणेश की कठिन शर्त से व्यास सहमत हो गए। लेकिन मन ही मन सोचा, यदि मेने थोड़ा भी संकोच किया तो गणेश यह कथा लिखने से मना कर देंगे और मेरा सम्पूर्ण चिंतन व्यर्थ हो जायेगा। वेद ने गणेश से कहा, “में आपकी शर्त से सहमत हूँ लेकिन आप भी उस समय तक कुछ न लिखे जब तक की मेरे बोल का अर्थ आप पूरा नहीं समझ जाये। जब आपको मेरे कहे का अर्थ िष्पष्ट हो जाए तभी आप उसे लिखेंगे।

Who Wrote The Mahabharata

व्यास ने पूछा, क्या यह उचित होगा। गणेश जी हंसते हुए सिर हिलाकर हामी भर दी। ऋषि वेद व्यास ने जो कथा मष्तिस्क में संजो रखी थी, उसे इस तरह से लिखित रूप मिला।

निस्चय ही महाभारत की कथा अद्भुत है। महाभारत को महाकाव्य कहा जाता है। इस महाकाव्य में सूंदर और साहसी नर – नारियो का चरित्र दर्शाया गया है।

महाभारत की कहानी लम्बी और कठिन है। जब कभी व्यास को कहानी के पात्रों या घटनाओ के कर्म के बारे में सोच विचार करने की आवश्यकता होती, वे कठिन श्लोक कहते और जब तक गणपति उन श्लोको के अर्थ को समझते, तब तक व्यास को सोचने का समय मिल जाता। और दोबारा कथा शुरू कर देते।

ऐसे करते करते महाभारत का पूरा काव्य वेद ऋषि ने अपनी चतुराई से भगवन गणेश से लिखवा ली।

महाभारत मुख्य तोर पर पाण्डु और धृतराष्ट्र नामक दो क्षत्रिय राजाओ की कथा है जो आपस में भाई थे। पाण्डु के पुत्र पांडव और धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव के नाम से जाने जाते थे। कौरव, पांडवो से बहुत्त ज्यादा घृणा करते थे। लेकिन पांडव स्वभाव में दयालु और अच्छे थे। अंत में इन्ही भाइयो ने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया।

प्राचीन काल में लिखने के इतने साधन नहीं थे इसलिए उनको कंठस्थ याद करना पड़ता था। यही नियम पीढ़ी दर पीढ़ी चला करता था।

3 अतिसुन्दर kanha ke Bhajan

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महाभारत की महान कथा से यह सिख मिलती है की हमें अपने “धर्म” का पालन सदैव करना चाहिए। महाभारत से हमें ये ज्ञान मिलता है की मनुष्य को लालच, शत्रुता, कामवासना और क्रोध को अपने मन पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

आप सभी पाठको का इस कहानी के प्रति क्या विचार विमर्श है कमेंट में जरूर बताइयेगा।